Hello दोस्तों love-quotes-images.com में आपका स्वागत हैं। दोस्तों आज हम आपको उन महान व्यक्ति के बारे में बताएंगे जिनको लोग आध्यात्मिक गुरु के नाम से जानते है जिन्हे शिक्षा के जगत में कीर्तिमान प्राप्त हैं जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है स्वामी विवेकानंद जी के विषय में। स्वामी विवेकानंद जी आध्यात्मिक गुरु होने के साथ- साथ एक समाज सुधारक भी थे। स्वामी विवेकानन्द जी ने पुरोहितवाद, ब्राह्मणवाद, धार्मिक कर्मकाण्ड इत्यादि विसंगतियों को दूर करने का अथक प्रयास किया। वे हमेशा से युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे हैं। दोस्तों आप इस पोस्ट के माध्यम से स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल विचारों और स्वामी विवेकानंद कोट्स इन हिंदी Swami Vivekananda Quotes in Hindi और swami vivekananda quotes in hindi with images को जानेंगे।
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था (मृत्यु – 4 जुलाई 1902)। स्वामी जी के बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। स्वामी जी के गुरु रामकृष्ण परमहंस ने इनको “स्वामी विवेकानंद” नाम दिया था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया तथा वेदांत दर्शन का प्रसार पुरे विश्व में किया। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत “मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों” के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। स्वामी जी अपने जीवन का एक-एक क्षण जन सेवा में लगाते थे और अपने अनमोल विचारों swami vivekananda quotes in hindi for students से लोगों को जन सेवा करने के लिए प्रेरित करते थे। शिकागो में दिया गया उनका भाषण आज भी लोकप्रिय है और हमें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का आभास कराता है।
तो आइये आज हम इस महापुरुष के अनमोल विचारों Swami Vivekananda Quotes in Hindi को जानते हैं।
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
महात्मा वो है, जो गरीबों और असहाय के लिए रोता है अन्यथा वो दुरात्मा हैं।
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।
जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं है लेकिन जो भी रिश्ते हैं, उनमें जीवन का होना जरूरी है।
दिन में कम से कम एकबार खुद से जरूर बात करें, अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे।
जब तक जीना, तब तक सीखना। अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं, जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
अपने लक्ष्य को अपनी कबीलियत के स्तर से निचा न रखे। बल्कि, अपने काबिलियत के स्तर को अपने लक्ष्य के जितना बड़ा बनाने की कोशिश करे।
बस वही जीते हैं ,जो दूसरों के लिए जीते हैं।
सभी को मरना है, सज्जन भी मरेंगे और दुर्जन भी मरेंगे, गरीब भी मरेंगे और अमीर भी मरेंगे इसलिए निष्कपट होकर जीवन जियो।
किसी मकसद के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह, गिरो तो एक बीज की तरह, ताकि दुबारा उगकर उसी मकसद के लिए फिर से जंग कर सको।
किसी दिन जब आपके सामने कोई समस्या ना आये, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं।
संभव की सीमा को जानने का सबसे उत्तम तरीका है, असंभव की सीमा से आगे निकल जाना।
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं है।
सभी शक्तियां आपके अंदर है, आप कुछ भी और सब कुछ कर सकते है।
मनुष्य की सेवा करो। भगवान की सेवा करो।
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना, स्वयं पर विश्वास करो।
किसी चीज से डरो मत, तुम अद्भुत काम करोगे, यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है।
एक बार किसी ने स्वामी विवेकानंद जी से पूछा कि:- सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है? स्वामी जी ने जवाब दिया:- उस उम्मीद का खो देना जिसके भरोसे हम सब कुछ वापस पा सकते है।
हम जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है।
कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो। जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचो।
दिल और दिमाग के टकराव में हमेशा दिल की सुनो।
संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना।
जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।
जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते, आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
तुम परिश्रम करके स्वर्ग के ज्यादा नजदीक होगे, बजाय गीता के अध्ययन करके।
भगवान की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए, इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर।
स्वयं में बहुत सी कमियों के बावजूद अगर मैं स्वयं से प्रेम कर सकता हूँ तो फिर दूसरों में थोड़ी बहुत कमियों की वजह से उनसे घृणा कैसे कर सकता हूँ।
बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप हैं।
तुम्हें भीतर से जागना होगा, कोई तुम्हें सच्चा ज्ञान नहीं दे सकता, तुम्हारी आत्मा से बड़ा कोई शिक्षक नहीं हैं।
हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा, और परमात्मा उसमे बसेंगे।
अध्यात्मिक मार्ग में मनुष्य का सच्ची शिक्षक केवल और केवल उसकी आत्मा होती हैं।
यदि आप मेरे पास आकर किसी और की बुराई करते है, तो मुझे कोई संदेह नहीं की आप दुसरों के पास जाकर मेरी भी बुराई करते होंगे।
सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
कभी भी बड़ी योजना का हिसाब मत लगाओ, धीरे धीर शुरू करें, अपनी ज़मीन बनाये और धीरे धीरे उसे बढ़ाएं।
इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।
अंखड ब्राह्माण की ऊर्जा हमारे लिए हैं, परन्तु अज्ञानी लोग इसे अंधेरा समझ नजर अंदाज कर, बस रोते ही रहते हैं।
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं।
तुम भगवान में तब तक विश्वास नहीं कर सकते, जब तक तुम खुद पर विश्वास नहीं करोगे।
विश्व एक व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
दुनिया क्या सोचती है उन्हें सोचने दो, आप अपने इरादे में मज़बूत रहो, दुनिया एक दिन तुम्हारे क़दमों में होगी।
एक विचार लो और उस विचार को अपनी ज़िंदगी बना लो, उसी विचार के बारे में सोचो, उसी के सपने देखो उसी को जियो।
खुद पर अटूट विशवास, विश्व तक को हमारे चरणों में लाने की ताकत रखता हैं।
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं।
महात्मा वो है, जो गरीबों और असहाय के लिए रोता है अन्यथा वो दुरात्मा है।
उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
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